Search This Blog

Saturday, 26 October 2013

सतत एवं व्यापक मूल्यांकन क्या है?

सतत एवं व्यापक मूल्यांकन क्या है?
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन क्या नहीं है
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन बच्चे के आकलन की निरन्तर चलने वाली विकासात्मक प्रक्रिया  है.
बच्चों में अवांछनीय परिवर्तन पाए जाने की सिथति में उन्हें डरा-धमकाकर अध्ययन के लिए प्रेरित या बाध्य करना।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन बच्चे के विकास के सभी पहलुओं को बताता है।
केवल पुस्तकीय ज्ञान के आधार पर बच्चे को मूल्यांकित करना।
बच्चे की सीखने की सिथति को देखते हुए कितना सीखा है, को जानकर अपनी शिक्षण पद्धति में आवश्यकतानुसार बदलाव दिया जाता है।
बच्चे की सीखने की सिथति को नजर अंदाज कर केवल एक ही शिक्षण पद्धति द्वारा ज्ञान प्राप्त करने हेतु बाध्य किया जाता है।
बच्चों की प्रगति को देखकर उनका श्रेणीकरण नहीं किया जाता है।
बच्चों की प्रगति को देखकर उनका श्रेणीकरण जैसे होशियार, मूढ़, धीमी गति से सीखने वाला आदि शब्दों में किया जाता है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन का उददेश्य सीखने को और बेहतर बनाना और कमजोरियों का पता लगाना एवं उनका निदान करना है।
उन बच्चों की पहचान करना जिन्हें अतिरिक्त शिक्षण की आवश्यकता है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में बच्चे की संवृद्धि (ळतवूजी) और विकास के शैक्षिक और सह शैक्षिक उददेश्यों की प्रापित होती है।
परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर बच्चे को मूल्यांकित करना।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में सीखने की गति एवं दिशा के साथ-साथ बच्चे की आवश्यकता, अभिरूचि, कौशल, योग्यता को भी जाना जाता है।
सीखने में आने वाली कठिनाइयों और समस्या क्षेत्रों की पहचान कर बच्चे को डरा-धमका के सिखाने का प्रयास करना।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में बच्चे की मुलना उसकी अपनी पिछली सिथति से की जाती है।
इसमें बच्चे की प्रगति की तुलना दूसरे बच्चों की प्रगति से की जाती है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन में बच्चे ने क्या सीखा और आगे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया कैसी होनी चाहिए तय किया जाता है।
केवल बच्चे की उपलबिध स्तर को जाना जाता है।

4 comments:

  1. thanks a lot.... Great effort...

    ReplyDelete
  2. कृपया सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के अन्तर्गत शिक्षक डायरी , छात्र प्रोफाइल ,संचयी प्रपत्र ,प्रगति पत्र का प्रारूप पोस्ट करने का कष्ट करे

    ReplyDelete