पाठ्यपुस्तकों में कहानियाँ होती हैं। आमतौर पर उनका उपयोग
कक्षा में बहुत सीमित स्तर पर होता है। लेकिन यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि
अगर शिक्षक चाहे तो वह किसी भी एक कहानी के माध्यम से बच्चों के बीच सोचने के
बहुत सारे आयाम खोल सकता है। लेकिन कहानी प्रस्तुत किस तरह की जाए, यह भी एक सोचने की बात है। कुछ शिक्षक इसके लिए
नए तरीके खोजते रहते हैं।
अज़ीम प्रेमजी स्कूल, दिनेशपुर, उधमसिंह नगर के शिक्षक साहबुद्दीन अंसारी ने अपना ऐसा ही एक अनुभव इस वीडियो में साझा किया ह।
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