जनपद रायबरेली में CCE की ट्रेनिंग के सिलसिले में मेरी विजिट का आज तीसरा दिन
था. इसके पहले मैं वाराणसी में भी CCE की ट्रेनिंग देख चुका हूँ. एक कॉमन
ऑब्जरवेशन मेरा यह रहा है कि पुरुष शिक्षकों की तुलना में महिला शिक्षकों की रूचि और
भागीदारी कहीं ज्यादा दिख रही है. चाहे ट्रेनिंग के दौरान बड़े समूह में चर्चा हो
रही हो या फिर छोटे समूह में, किसी गतिविधि में प्रतिभाग का सवाल हो, या फिर किसी
प्रश्न का उत्तर देना हो. इन सबमें महिला शिक्षक बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग कर रही हैं.
वहीँ सक्रिय प्रतिभाग करने वाले पुरुष शिक्षकों की संख्या कम है.
आखिर ऐसा क्यों है?
पर बलरामपुर में मेरा अनुभव कुछ अलग था , विद्यालय में जहां पुरुष शिक्षक थे वहा कुछ काम दिखा पर वही महिला शिक्षकावो का काम संतोषजनक नहीँ दिखा
ReplyDeleteबात महिला या पुरुष का नहीं है जिसको काम करना है वो करेगा
सर, मुझे नहीं लगता है कि महिलाएँ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। यह निर्भर करता है कि टापिक क्या है? कितने Training में यह बात निकल कर आयी। मैने बीआरसी स्तरीय कर्इ प्रशिक्षण में देखा है कि यह बात सच नहीं है। हो सकता है सीसीर्इ के प्रशिक्षण में आपकी बात सही हो।
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